झूठे IPC 498A मामले को कैसे खारिज करें?
अगर आपकी पत्नी ने आपके और आपके परिवार के सदस्यों के खिलाफ की झूठी Section IPC 498A दायर की है तो यह लेख आपको आपकी और आपके परिवार के सदस्यों की रक्षा करने में मदद करेगा। झूठे केस में निर्दोष अभियुक्तों की रक्षा करना न्याय की रक्षा करने के समान है।
आपकी पत्नी या तो पुलिस स्टेशन में एफ.आई.आर दर्ज करा सकती है या फिर कोर्ट में शिकायत का मामला दर्ज करा सकती है। अगर आपकी पत्नी एफ.आई.आर दर्ज करेगी तो पुलिस जांच करेगी और अंत में पुलिस कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट पेश करेगी।
IPC 498A एक cognizable, non bailable and non-compoundable अपराध है। IPC की 498A non-compoundable अपराध है यानी या तो आपको सजा मिलेगी या आप IPC की धारा 498A से मुक्त हो जाओगे।
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IPC की धारा 498A से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?
एक बार आपके और आपके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठी Indian Penal Code Section 498a दायर की गई, तो आपको अगली सुनवाई की तारीख में पेश होने के लिए अदालत से सम्मन (summons) मिलेगा।
अगर आप कोर्ट जाएंगे तो आपको गिरफ्तार किया जा सकता है और अगर आप कोर्ट नहीं जाते हैं तो कोर्ट आपके और आपके परिवार के सदस्यों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है।
उस मामले में, आपको पहले जिला अदालत में अग्रिम जमानत (anticipatory bail) के लिए आवेदन करना होगा। मान लीजिए कि जिला अदालत में जमानत (anticipatory bail) याचिका खारिज हो गई है तो आपको उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए।
लेकिन अग्रिम जमानत मिलने में कुछ दिन लग सकते हैं और इस बीच अदालत आपके और आपके परिवार के सदस्यों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकती है।
गिरफ्तारी या गिरफ्तारी वारंट से कैसे बचें या देरी करें?
हां, गिरफ्तारी वारंट से बचना संभव है। गिरफ्तारी वारंट से बचने के लिए आपको अदालत नहीं जाना चाहिए बल्कि अपने और अपने परिवार के सदस्यों की ओर से वकील को अदालत में पेश होने के लिए कहना चाहिए।
धारा 205 crpc के तहत आरोपी की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट के लिए एक याचिका दें और डॉक्टर के पर्चे के साथ चिकित्सा कारण बताएं और अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट के लिए चिकित्सा पर्चे और रिपोर्ट संलग्न करें। कृपया सुनिश्चित करें कि आपके case में याचिका धारा 205 crpc आपकी पहली याचिका होनी चाहिए।
झूठा IPC 498a में आरोपित को आरोपमुक्त करना ?
अगर आपकी पत्नी ने झूठा IPC 498a दायर किया है तो आपकी पत्नी कोई सबूत पेश या जमा नहीं कर पाएगी। Section 498a IPC से मुक्त होने के लिए धारा 245 (2) crpc के तहत एक और याचिका दें।
अपनी डिस्चार्ज याचिका में आपको यह लिखना चाहिए कि आपकी पत्नी ने जो भी आरोप लगाया है वह पूरी तरह से झूठा है और आपको यह साबित करने के लिए अपना सबूत संलग्न करना चाहिए कि आपकी पत्नी द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं।
एक बार जब आप CrPC की धारा 245(2) के तहत याचिका दायर करते हैं, तो अब यह साबित करना आपकी पत्नी की जिम्मेदारी है कि उसने आपके और आपके परिवार के खिलाफ जो भी आरोप लगाया है वह सच है। अगर उसने झूठा मुकदमा दायर किया है तो वह कभी साबित नहीं कर पाएगी कि उसने जो आरोप लगाया है वह सच है।
अंत में आप केस जीत जाएंगे और आपको और आपके परिवार के सदस्यों को IPC section 498a से आरोप मुक्त हो जाएंगे।